पाचन को मजबूत कैसे बनाए
“आग अंदर जल रही है – जब पाचन चुपचाप प्रतिशोध लेता है”
(Nirogniti का स्पेशल Gut-Felt ब्लॉग)>
“कभी-कभी जो बातें हम पेट में रखते हैं, वो सिर्फ राज़ नहीं होते…कुछ सचमुच का खाना होता है जो अभी तक पचा नहीं!” 🤐
🧑🏻🍳 एक सुबह का किस्सा –
और पेट का बगावत नामा सुबह-सुबह की बात है। मोहन बाबू ने चाय के साथ बासी पकौड़ियाँ खाईं, फिर तुरंत एक सिगरेट जलाई और बोले –

“पेट तो मेरा बुलेट जैसा है, कुछ भी डालो – चलता रहता है।”
पेट ने एक कोने में बैठकर ये सुना…और मन में धीरे से बोला –
“अबे बुलेट नहीं, टैंक समझ रखा है क्या?”और वहीं से शुरू हुआ अंदरूनी प्रतिशोध का पहला अध्याय।–
🤢 अध्याय 1:
पाचन को मजबूत कैसे बनाए रखें । खामोश जलन और पेट की चुप्पी मोहन बाबू दोपहर होते-होते कुर्सी पर हाथ रखकर बैठ गए। चेहरे पर खींचा वट थी…पेट ऐसे फूल रहा था जैसे कोई घर के अंदर गुब्बारा फुला रहा हो।
“अजीब सी जलन हो रही है…” – उन्होंने कहा । पर पेट कुछ नहीं बोला। उसे अब इंसान की समझदारी पर भरोसा नहीं रहा।—
🔄 अध्याय 2: दवाई नहीं, ढंग चाहिए
मोहन बाबू ने गैस की गोली खाई, बर्फ का पानी पीया, और फिर से वही तली-भुनी आलू टिक्की खा ली। पेट ने सिर पीट लिया।> अब आप ढूंढ रहे है कि पाचन को मजबूत कैसे बनाए ।
“इन इंसानों को लगता है कि हर चीज़ की गोली होती है —लेकिन जीवन गोली नहीं, ध्यान चाहता है।” पाचन कोई रॉकेट साइंस नहीं है।ये तो वही पुरानी बातें हैं जिन्हें हम जानते हैं…पर अनदेखा करते हैं —समय पर खाना, चबा-चबाकर खाना, थोड़ा चलना, और थोड़ी सोच।—
🧠 अध्याय 3: शरीर बोलता नहीं, संकेत देता है
जब पेट खराब होता है, तो वो सिर्फ गैस नहीं छोड़ता…वो दिमाग की स्थिति, त्वचा की चमक, मूड की स्थिरता –
सब पर असर करता है। रिसर्च कहती है कि Gut Health और Mental Health का सीधा रिश्ता है। मोहन बाबू का मन अब चिड़चिड़ा रहने लगा था। पाचन को मजबूत कैसे बनाए ।
नींद गायब, भूख गायब, और मूड तो जैसे किसी ने “Uninstall” कर दिया हो। पेट अब भी कुछ नहीं बोला। क्योंकि वो बोलेगा नहीं – वो अहसास कराएगा।—
🧘♂️ अध्याय 4: पुरानी डायरी और नई शुरुआत
एक दिन, अलमारी में एक पुरानी डायरी मिली। उसमें उनके पिताजी ने लिखा था:
“भोजन में भोग नहीं, भक्ति होनी चाहिए।
जो खाओ, सोचकर खाओ — सोचो, पचा सको वो ही खाओ। “मोहन बाबू जैसे रुके।उन्हें लगा – शायद शरीर तो तब भी काम करेगा, जब हम गलती करेंगे।लेकिन हर बार नहीं।—
🔄 अंतिम अध्याय: पेट का दोस्त बनो, बॉस नहीं
अब मोहन बाबू खाने से पहले कुछ पल ध्यान करते हैं। वे छाछ में जीरा डालते हैं, दिन में एक बार हरा धनिया चबाते हैं, और सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पीते हैं। पेट अब फिर से मुस्कराता है और दिमाग भी।>
“पेट का सम्मान, जीवन का सम्मान है। क्योंकि जो अंदर टूटता है, वो बाहर बिखरता है।”—
🧾 Nirogniti की सीख –
पेट कोई Dustbin नहीं, वो DigestWin है! पाचन शक्ति सिर्फ खाना पचाने की प्रक्रिया नहीं —ये तो हमारे शरीर की जिंदगी जीने की क्षमता है।
👉 अगर खाना ठीक से नहीं पचेगा,
👉 तो विचार भी भारी लगेंगे,
👉 मूड भी बिगड़ेगा,
👉 और दिन एक बोझ बन जाएगा।
- ✅ क्या करें?
🔸 सुबह एक गिलास गर्म पानी से दिन शुरू करें
🔸 भोजन समय पर और शांत वातावरण में करें
🔸 खाने के बाद फोन नहीं, थोड़ी देर टहलिए
🔸 दही, छाछ, सौंफ, हींग, जीरा जैसे घरेलू दोस्त बनाइए
🔸 रोज़ थोड़ी हँसी और थोड़ी हरियाली अपने जीवन में शामिल कीजिए
🔚 अंतिम संदेश:>
“अगर आपका पेट खुश है, तो दुनिया की कोई ताक़त आपको थका नहीं सकती।
लेकिन अगर पेट नाराज़ है, तो अच्छे से अच्छा खाना भी ज़हर लगेगा।”
तो उठिए, सोचिए और Nirogniti से जुड़िए —जहां हर बात है दिल से, और इलाज है देसी अंदाज़ से।
आप निरोगनीति में आय आपका बहुत ही मैं आभारी ही और आप मुझे ऐसे ही अपना प्यार देते रहे । और अपनी nirogniti.com को ऊपर ले जाए।
धन्यवाद
Nirogniti
